National Farmers Day 2023, भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जयंती  के दिन राष्ट्रीय किसान दिवस क्यों मनाया जाता है

chakenkumar

23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmers Day) मनाया जाता है। इस दिन को भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती मनाई जाती है, जो किसानों को सशक्त बनाने के लिए बहुत कुछ किया था। Delivering Smart Solutions for Sustainable Food Security and Resilience इस वर्ष की थीम है।

भारत को सदियों से कृषि प्रधान देश रहा है। किसानों को हमारे देश में अन्नदाता का दर्जा प्राप्त है। भारत के लगभग 60 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं,  इसलिए 23 दिसंबर को देश भर में देश के किसानों को सम्मान देने के लिए हर वर्ष राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

National Farmers Day इस दिन क्यों मनाया जाता है

23 दिसंबर को हमारे देश में भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती मनाई जाती है।  चौधरी चरण सिंह को किसानों का आदर्श मानते हैं। किसानों को सशक्त बनाने और उनके मंत्री और प्रधानमंत्री रहते हुए किसानों के हित में बहुत कुछ किया गया। अब हर साल उन्हें सम्मान देने के लिए नेशनल फार्मर्स डे मनाया जाता है।

National Farmers Day कब से मनाया जाता है

2001 से राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है। 2001 से, इस दिन को हर वर्ष भूतपूर्व प्रधानमंत्री द्वारा किसानों के लिए किये गये कामों को स्मरण करने, और उनके साथ किशानो को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।

National Farmers Day Theme

किसी भी दिन को मनाने की थीम निर्धारित की जाती है। यह दिन हर वर्ष एक अलग थीम पर मनाया जाता है। “सतत खाद्य सुरक्षा और लचीलेपन के लिए स्मार्ट समाधान प्रदान करना” 2023 के राष्ट्रीय किसान दिवस की थीम है। इस थीम के तहत आज देश भर में उत्सव मनाया जा रहा है।

National Farmers Day का उद्देश्य

समाज में किसानों के योगदान को सम्मान देना

देश के समग्र आर्थिक एवं सामाजिक विकास के महत्त्व को समझने हेतु नागरिकों में जागरूकता को बढ़ावा देना

National Farmers Day
भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी

भूतपूर्प्रव धानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बारे में जानकारी

जन्मः 23 दिसंबर, 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के नूरपुर में एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में पैदा हुए, महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया. उनका अधिकांश राजनीतिक जीवन ग्रामीण भारत में समाजवाद पर केंद्रित था, वह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे 1967 और 1970 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे,राज्य में हुए भूमि सुधारों के प्रमुख वास्तुकार थे।

1939 में डेट रिडेम्पशन बिल, जमीन यूटीलाइजेशन बिल और अन्य बिलों के निर्माण और अंतिम रूप देने में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई. 1952 में कृषि मंत्री के रूप में, उन्होंने यूपी में जमींदारी प्रथा को खत्म करने की कोशिश की. 23 दिसंबर 1978 को उन्होंने किसान ट्रस्ट की स्थापना की, और 1979 से 1980 के बीच देश के प्रधानमंत्री रहे. उनका निधन 29 मई, 1987 को हुवा |

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