Savitribai Phule Jayanti : 3 जनवरी को पुरे भारत में भारत की पहली महिला टीचर सावित्रीबाई फुले की उपलब्धियों और योगदान का स्मरण किया जाता है। भारत में सावित्रीबाई फुले को महिलाओं के अधिकारों में सुधार के लिए और जाति, लिंग के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने के काम लिए भी जाना जाता है। सावर्तिबाई फुले की 191वीं जन्मदिन पर उनके बारे में जाने।
सावित्रीबाई फुले समाज सुधारक बनी, और साथ ही वे एक दार्शनिक और कवयित्री भी थीं। उनकी कविताएं प्रायः प्रकृति, शिक्षा और जाति व्यवस्था को समाप्त करने पर केंद्रित थीं। उसने अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दिया, जब देश में जातिवाद चरम पर था।
Savitribai Phule की थोड़ी खास जानकारी
Savitribai Phule का संघर्ष
भारत में स्वतंत्रता से पहले भारत में अत्यधिक जाति वाद के लिए भेदभाव रहा, ज्यदातर महिलाएं भेदभाव का शिकार हुईं। दलित लोग की स्थति समाज में अच्छे नहीं थे। महिलाएं दलित थीं, इसलिए यह भेदभाव की स्थति और बद्तर हुआ। सावित्रीबाई फुले को स्कूली पढाई के लिए काफी कठिनाईया उठानी पड़ी, लोग स्कूल जाते समय पत्थर मारते थे। लेकिन वे बहुत मुश्किल से शिक्षित हुए। सावित्रीबाई फुले ने महिला सशक्तिकरण को अपना जीवन समर्पित किया। आगे सामाजिक बुराईयों के खिलाफ उन्होंने सख्त आवाज उठाया।
Savitribai Phule अपने विवाह के बाद शिक्षा प्राप्त की
उसकी शादी 13 वर्षीय ज्योतिराव फुले से हुई जब वह सिर्फ 9 वर्ष की थीं। जब शादी हुई, सावित्रीबाई फुले पढ़ाई नहीं करती थीं। ज्योतिराव फुले ने सावित्रीबाई को उनकी पढ़ाई में लगन देखकर आगे की पढ़ाई करने का विचार दिया। शादी के दौरान ज्योतिराव फुले भी कक्षा तीन में पढ़ते थे। बावजूद इसके, उन्होंने सावित्रीबाई की पढ़ाई में पूरी तरह से मदद की, समाज में प्रचलित कुरीतियों की परवाह किए बिना। सावित्रीबाई ने पुणे और अहमदनगर में शिक्षण प्रशिक्षण लिया।
कौन है सावित्रीबाई फुले? भारत की पहली महिला टीचर सावित्रीबाई फुले
सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के नायगांव में हुआ था। भारत की पहली महिला टीचर सावित्रीबाई फुले समाज को सुधारने के अलावा एक महान लेखक और कवि भी थी। 1854 में उन्होंने काव्य फुले और 1892 में बावन काशी सुबोध रत्नाकर लिखीं।
साथ ही, समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले ने एक कविता लिखी, “गो, गेट एजुकेशन”, जिसमें उत्पीड़ित लोगों को शिक्षा लेकर खुद को मुक्त करने का आह्वान किया।
सावित्रीबाई फुले के समाज के लिए कार्य में कुछ रोचक तथ्य
भारतीय सामाजिक सुधारक, कवि और शिक्षक सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं। 1848 में, सावित्रीबाई फुले ने अपने पति के साथ पुणे में एक लड़कियों का स्कूल खोला। यह देश में लड़कियों का पहला स्कूल है। सावित्रीबाई फुले इस स्कूल की प्रधानाध्यापिका थीं। किसी भी जातीय समूह की लड़कियों को ये स्कूल मिल गया था। दलित लड़कियों को स्कूल जाने का पहला मौका मिला।
इन्होने 18 स्कूल देश भर में खोले। इनके इस योगदान के लिए British East India Company ने भी सम्मानित किया।
सावित्रीबाई फुले को महाराष्ट्र के सामाजिक सुधार आंदोलन में एक महत्वपूर्ण आदर्श व्यक्तित्व माना जाता है क्योंकि उन्होंने कठोर और अन्यायपूर्ण जाति और लिंग प्रथाओं को खत्म करने की कोशिश की । पुरुषों द्वारा अधिकतर नियंत्रित राष्ट्रीय आंदोलन में भी महिलाओं को जोड़ने में वह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं।
सामाजिक सुधारक, शिक्षक और दान देने वाली महान मराठी लेखिका सावित्रीबाई फुले भी थीं। वह सामाजिक मुद्दों और महिला अधिकारों पर कई लेख लिखी ।
डॉ. बी.आर. अंबेडकर के साथ सावित्रीबाई फुले ने पिछड़ों को एक आदर्श बनाया | भारतीय समाज और महिला अधिकारों में उनके अद्भुत योगदान ने देश भर और विदेश में लोगों को प्रेरित किया है।